लग्न के आधार पर कुंडली मिलान
सर्व विदित है की किसी के स्वाभाव और देह के बारे में जानना हो तो लग्न का विचार करें | लग्न में स्थित राशि और ग्रह व्यक्ति विशेष के बारे में काफी जानकारी देते है| यही कारण है की वैदिक ज्योतिष में लग्न की महत्ता सर्वोपरि है| जब दो व्यक्तियों को जीवन भर के लिए साथ जोड़ा जाए तो दोनों के लग्नो का तालमेल अवश्य देखना चाहिए| लग्न मिलान एक तरह से व्यक्ति की समझ का मिलान है|
लग्न मिलान साधन
लग्न में स्थित राशि को तीन भागो में स्वाभाव के अनुसार विभाजित किया जाता है|
चर लग्न का स्वभाव – चर लग्न में जन्मे व्यक्ति को जीवन में बदलाव पसंद होता है| तरक्की पसंद व्यक्तितत्व होता है | घुमने का शौक रखता है और निर्णय शीघ्र लेता है| एक जगह स्थिर हो कर काम करने में परेशानी आती है|
स्थिर लग्न का स्वाभाव – स्थिर लग्न में जन्म हो तो व्यक्ति परिवार से जुड़ा रहता है| परिवार के आदर्श और संस्कृति को दिल से मानता है | जीवन से संतुष्ट होते है | बदलाव पसंद नही होता है जिस ढर्रे पर जीवन चल रहा हो उसे बदलने में परेशानी आती है| बहुत सोच कर और देरी से निर्णय लेते है|
द्विस्वभाव लग्न – जैसा की नाम से ज़ाहिर है की इन लग्नो में व्यक्ति संतुलन बनाने का प्रयास करता है| ऐसे व्यक्ति दुसरो के लिए अच्छे परन्तु अपने लिए जीवन में कुछ ख़ास नही कर पाते है| समाज इनके बारे में कैसी छवि रखता है इसका विचार बहुत अधिक करते है| यह चर और स्थिर की बीच की सीढी है|
उपरोक्त स्वाभाव के अनुसार
इस प्रकार से लग्न मिलान करने से दोनों के बीच साम्जस्यता अच्छी रहती है और जीवन सुचारू रूप से चलता है| अगले अंक में जानेंगे की किस प्रकार राशि तत्व के आधार पर लग्न मिलान किया जाता है|
कृपया वह लोग जिनका विवाह कुंडली मिलाकर हुआ हो और उसके बाद भी वैवाहिक जीवन सुखमय न हो अपनी कुंडली इस फोरम पर भेजे| लेखक से संपर्क करने के लिए क्लिक करें | पूरा लेख पढने के लिए Join करना न भूलें | आपको यह लेख कैसा लगा इस बारे में अपनी राय अवश्य दें |
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