बलात्कारी प्रवृत्ति के ज्योतिष योग
किसी भी सभ्य समाज में महिलाओं को उचित सम्मान दिया जाता है| पिछले एक शतक में महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए विश्व भर में लड़ाई लड़ी और विजय भी प्राप्त करी| भारत भी इस लड़ाई से अछूता नही रहा| बेटी बचाओ बेटी पढाओ आदि अभियान इसके सूचक है | परन्तु फिर भी दुनिया भर में आज भी बलात्कार हो रहे है| इस घृणित कृत्य के लिए कुछ देशो में तो मृत्यु की सजा का भी प्रावधान है| इस तरह की घटना का असर उस महिला की मानसिकता पर उम्र भर के लिए गहरी नकारात्मक छाप छोड़ देता है|
किस कारण से विकसित होती है बलात्कारी सोच ?
प्रकृति ने पुरुषो को महिलायों की अपेक्षा शारीरिक रूप से थोडा अधिक बलवान बनाया है| इस अंश मात्र अधिक बल के ज़ोर पर पुरुष इस तरह का कुकृत्य करता है | यहाँ शारीरिक बल से अधिक गन्दी मानसिकता के कारण होता है | एक सामान्य मानसिकता वाला पुरुष बलात्कार जैसे विषयों के बारे में सोच भी नही सकता है| आइये ज्योतिष के चश्मे से ऐसे पुरुषो की मानसिकता का विचार करें जो भविष्य वर्तमान की चिंता किये बगैर क्षण भर की पिपासा शांत करने के लिए यह कुकर्म करते है|
पक्ष बली परन्तु पाप प्रभाव से ग्रसित चन्द्र
चंद्रमा जातक की मानसिकता को दर्शाता है| यदि चन्द्र के पास पक्ष बल हो तो व्यक्ति की इच्छाएं अधिक होती है और वह उनका पूरा करने का प्रयास भी करता है| ऐसी स्थिति में यदि पाप ग्रहों का चन्द्र पर प्रभाव हो तो व्यक्ति बुरी और गलत विचारों की ओर अधिक आकर्षित होता है |
कमजोर शुक्र
शुक्र, व्यक्ति में रोमांस का स्तर दर्शाता है| यदि शुक्र बली हो तो व्यक्ति सभी से प्रेम करने वाला और कामुक होता है| परन्तु काम भावना सही दिशा में अग्रसित होती है| वहीं यदि शुक्र नीच का हो और उस पर राहू , मंगल का प्रभाव हो तो व्यक्ति की काम इच्छाएं बहुत ही अलग होती है| शुक्र का पाप प्रभाव में होना यह दर्शाता है की व्यक्ति की सोच सेक्स को लेकर अजीब होती है| काम सम्बन्ध एक ऐसा सम्बन्ध है जिसमे दोनों साथियो को सुख की अनुभूति होनी चाहिए| यदि एक साथी दुखी और वेदना में है तो दुसरे को सुख का अनुभव होना सामान्य रूप से असंभव है|
बली मंगल
मंगल साहस का कारक होता है | यदि मंगल का सम्बन्ध लग्न और लग्नेश से हो तो व्यक्ति साहसी होता है| साहस और दुस्साहस में थोडा ही अंतर होता है| यदि मंगल लग्न को देखें और गुरु अथवा बुध की दृष्टि लग्न/लग्नेश पर न हो तो व्यक्ति का साहस दुस्साहस में परिवर्तित होने की सम्भावना रहती है|
राहू
राहू माया का प्रतिनिधित्व करता है| राहू बुद्धि को भ्रमित करता है, उस पर पर्दा डालता है| यदि राहू का सम्बन्ध लग्न से हो और लग्नेश कमजोर हो, तो व्यक्ति के भ्रमित होने की सम्भावना अधिक रहती है|
बाल्य अवस्था का वातावरण और संगति
बलात्कार करने की सोच एक दिन में जन्म नही लेती है| इसके पीछे कुंठित बचपन, बुरा वातावरण और बुरी संगति बेहद अहम् भूमिका निभाती है | अतः व्यक्ति के बाल अवस्था के दौरान दशा क्या रही इसकी भूमिका भी अवश्य जांचनी चाहिए|
उदाहरण कुंडली
27 अगस्त 1964, 08:31 प्रातः, टोरंटो ओंटारियो कनाडा
जिस व्यक्ति की यह कुंडली है उसने सिलसिलेवार कई बलात्कार किये, बस या ट्रेन से उतरती महिलाओं के साथ यह बलात्कार करता था| इस पत्रिका में यदि हम नियम 1 की जांच करें तो पायेंगे की चन्द्र और सूर्य के बीच पांच भावो की दूरी है जो की चन्द्र को पक्ष के आधार पर बली दिखाती है वहीं वह अष्टम में चन्द्र से पीड़ित है | नियम 2 का विचार करें तो शुक्र दिग्बल हीन हो कर मंगल और राहू के साथ है, तो समझा जा सकता है की शुक्र भी यहाँ कमजोर है| दिग्बली मंगल एक शुभ ग्रह के साथ कुंडली में दशम भाव में स्थित है यह स्थिति नियम 4 की पुष्टि कर रहा है| बाल्यअवस्था में इसके पिता पर भी बच्चो का शारीरिक शोषण करने का आरोप लगा था तो समझा जा सकता है की ऐसे वातावरण में जातक की सोच और मानसिकता कैसी विकसित हुई होगी |
इस तरह के अपराध न सिर्फ अपराधी को अपितु पूरे समाज को अपमानित करते है| एक सर्वे के अनुसार, बलात्कार के अधिकतर केस तो पुलिस तक पहुँचते ही नही है| इसका एक मुख्य कारण लड़की और उसके परिवार का समाज में अपमानित होने का डर है | ऐसे स्थिति में बलात्कारी का दुस्साहस और बढ़ जाता है | भारतीय राजनेताओं से हम अपेक्षा रखते है की वह सख्त और शीघ्र दंड के द्वारा इस मानसिकता को पूर्ण रूप से समाप्त करें|
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