मिथुन लग्न में लग्नेश बुध, दशम में नीच अस्त होकर, उच्च के वक्री शुक्र के साथ बैठे हैं। क्या यह युति वक्री- उच्च तथा अस्त - नीच दोनो ग्रह के दोषों को सम कर देगी? दोनो ग्रहों की महादशाओं को किस प्रकार से देखेंगे?
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कारक ग्रह वक्री होने पर शुभ परिणाम देते हैं, जिस ग्रह के साथ बैठे होते हैं उसको अपनी शक्ति प्रदान करते हैं। शुक्र में कुछ कमी आएगी और बुद्घ बलवान होगा।
नीच भंग योग में उच्च ग्रह की शक्ति नीच ग्रह को सहारा देती है। आप सही कह रहे हैं, बुध का समर्थन करने के लिए शुक्र के फल कम होंगे।