कुल की उन्नति कारक केतु की दशा में मेरा जन्म हुआ इसके बाद आयी शुक्र की दशा जो की कामनाओ का कारक है 20 साल खूब ऐश की जिंदगी जी खूब मनमर्जी की माँ बाप की जेब मैं पैसे है या नहीं इसकी परवाह किये बिना लक्सेरी भी चीजे ली.
उम्र हो गयी 23-24 साल आ गयी सूर्य की दशा , स्वयं को घर के प्रति जिम्मेदारी का अहसास होने लगा क्योकि शुक्र के बाद सूर्य की दशा व्यक्ति को जिम्मेदार बनाती है. विवाह हो गया तो जिम्मेदारी और भी बढ़ गयी सूर्य की दशा में मैं पिता भी बन गया सूर्य की दशा भी कितनी आश्चर्य जनक है एक और कालपुरुष का पंचमेश होने के कारण संतान भी देती है और लीडरशिप क्वालिटी होने की वजह से पितृत्व का बोध भी कराती है।
दूसरे बच्चे के जन्म के समय पत्नी का पूरा ध्यान अपने नवजात की तरफ था पहला बच्चा अपने को उपेक्षित महसूस न करे इसलिए पहले बच्चे को माता जैसा प्यार भी दिया चंद्र की दशा जो चल रही थी। चंद्र कैश मनी का भी कारक है इस दशा में छोटी छोटो बचतों से कुछ धन भी इकठ्ठा हो गया है
अब उम्र हो गयी है 40 साल पिताजी सत्तर के हो चुके है कहते है की घर और बाहर की जिम्मेदारी अब तुम खुद सम्भालो बिना पराक्रम बिना मंगल के घर और बाहर की जिम्मेदारी निभती है क्या
अब उम्र की हाफ सेंचुरी होने वाली है अब तो योजना ही योजना बनानी है क्योकि राहु की दशा जो है और राहु प्लानिंग का भी कारक जो है बच्चो की उच्च शिक्षा उनके जॉब की उनकी शादी की और अपने रिटायरमेंट की भी तो योजना बनानी है
अब 65 का होकर रिटायर जैसा ही हो चूका हूँ धर्म में भी मन लगने लगा है गुरु की दशा जो चल रही है
अब 80 हूँ का शनि की दशा चल रही है कुछ साथी भी साथ छोड़ चुके है मैं भी अपना सामान बांधें अपनी ट्रैन का इंतजार कर रहा हूँ ऊपर जाने में कोई थोड़ा आगे कोई थोड़ा पीछे जैसे बात ही है मन में वैराग्य ही वैराग्य है
इसके बाद तो बुध की दशा है जो की नेचुरल रोगेश तो है ही पित्त कफ और वात तीनो दोषो को देने वाला भी है शरीर मैं 3-4 रोग हो चुके है
यही है जिंदगी